Friday, November 19, 2010

यह सत्य है की राजा राम जी ने मांस खाया है

 यह सत्य है की राजा राम जी ने मांस खाया है बनवास के दौरान और जब सीता जी ने उस मांस को पकाने के बाद परोसा तब उसे खाने के बाद स्वयं राम जी ने मांस के स्वादिस्ट होने की प्रसंसा की राम चरित मानस में लिखा है राजा दशरथ जी तो बड़े ही शोंक के साथ शिकार  करते थे जब शिकार शोंक से करते थे तो शिकार किये गए जानवर को फेंकते तो होंगे नहीं क्युकी यह तो पागलपन है जो की राजा के सिंघासन पर बेठने का हक़ किसी पागल को प्रजा कभी भी नहीं देगी इससे साबित होता है के दशरथ जी भी मांस खाते थे मै खुद एक राजपूत छत्रिय परिवार में पेदा हुवा हूँ और हमरा khandan सदियों से आज तक मांस khata    raha  है कहते है वह छत्रिय ही नहीं जो शिकार ना खेले शिकार जब खेलेंगे तो मांस तो जरुर ही खायेंगे   

43 comments:

दीपक बाबा said...

ठाकुर साहेब....
मांस तो दुनिया खाती है..... क्या क्षत्रिय का हरिजान.... पर प्राणी को तरपा तरपा कर तो कोई नहीं मारता.......

झटका दो.. और खाओ...
आपको इसने रोका है....

और उस बंदे का नाम भी ब्लॉग में लिख दो .. जिसने आपसे ये ब्लॉग चालू करवाया है.

दीपक बाबा said...

झटका दो.. और खाओ...
आपको इसने रोका है....

इसमें 'इसने' कि जगह 'किसने' पड़ा जाये........

Thakur M.Islam Vinay said...

dipak ji aap jyse logon ki prerna se hi mujh jyse anadi ne blog ki duniya me kadam rakha hai guru to aap hi hai aapka aasirwad raha to jiyada se jiyad likhne ki kosis karunga

Thakur M.Islam Vinay said...

dipak ji jhatka our halal ke bare me insaallah fir kabhi likhunga vegyanic tark dekar abhi to sikh raha hu

kamal said...

our kuh likho yar

DR. ANWER JAMAL said...

@ दीपक जी , जानवर को तकलीफ झटके से होती है न कि हलाल से , यह शोध से सिद्ध है झटके से खून शरीर में ही रुक जाता है जो बीमारी का कारण बनता है ।
मेरी ताजा पोस्ट पर
vedquran.blogspot.com
पधारेँ और अपनी राय से नवाज़ेँ ।

arsad hasan said...

behtrin jankari di hai thakur sahab aapne

nadeem said...

nice post

DR. ANWER JAMAL said...

@ ठाकुर साहब आपने जिस बेबाकी से सच कह दिया वह आज दुर्लभ है ।
ठाकुरों की रीत को आप से ज्यादा कौन जानेगा भला ?
धन्यवाद !

Anonymous said...

yar tum logon ko kuch kam dham nahi hai

saeed said...

हिन्दू परंपरा में मांसाहार
वर्तमान में हिन्दू भाइयों की दृष्टि में कुरबानी करना धार्मिक रीति तो क्या, घोर पाप है, परंतु अतीत में बौद्धों और जैनियों के प्रभाव से पूर्व ऐसी किसी धारणा का अस्तित्व न केवल नहीं था बल्कि हिन्दू ग्रंथों में आज भी कुरबानी और मांस भक्षण का उल्लेख मौजूद है। मनु स्मृति जिसे समाज का एक वर्ग ब्राह्मणों द्वारा रचित विधान और व्यवस्था का नाम देता है, के पंचम अध्याय का अधिकतर भाग कुरबानी तथा मांस भक्षण पर ही आधारित है। उदाहरण के लिए -
यज्ञार्थं ब्राह्मणैर्वध्याः प्रशस्ता मृगपक्षिणः ।
भृत्यानां चैव वृत्यर्थमगस्त्यो ह्याचरत्पुरा ।। (मनु. 5,22)
अर्थात यज्ञ के लिए तो अवश्य तथा रक्षणीय की रक्षा के लिए शास्त्र-विहित मृग और पक्षियों का वध करे। ऐसा अगस्त्य ऋषि ने पहले किया था।
प्राणास्यान्नमिदं सर्वं प्रजापतिरकल्पयत् ।
स्थावर। जंगमं चैव सर्व प्राणस्य भोजनम् ।। (मनु. 5, 28)
अर्थात प्रजापति ने जीव का सब कुछ खाने योग्य कहा है। सब स्थावर (फल, सब्ज़ी आदि) तथा जंगम (पशु-पक्षी, जलचर आदि) जीव जीवों के खाद्य भक्ष्य हैं।
नात्ता दुष्यत्यदन्नाद्यान्प्राणिनोऽहन्यहन्यपि ।
धात्रैव सृष्टा ह्याद्याश्च प्राणिनात्तार एव च ।। (मनु. 5, 30)
अर्थात प्रतिदिन भक्ष्य जीवों को खाने वाला भी भक्षक दोषी नहीं होता है, क्योंकि सृष्टा ने ही भक्ष्य तथा भक्षक, दोनों को बनाया है।
नाद्यादविधिना मांस विधिज्ञोपनदि द्विजः । (मनु. 5, 33)
अर्थात विधान को जानने वाला द्विज बिना आपत्तिकाल में पड़े विधिरहित मांस को न खाए।
नियुक्तस्युक्त यथान्यायं यो मांसं नात्ति मानवः ।
स प्रेत्य पशुतां याति संभवानेकविंशतिम् ।। (मनु. 5, 35)
अर्थात शास्त्रानुसार नियुक्त जो मनुष्य मांस को नहीं खाता है, वह मर कर इक्कीस जन्म तक पशु होता है।
यज्ञार्थं पशवः सृष्टा स्वयमेव स्वयंभुवा ।
यज्ञस्य भूत्यै सर्वस्य यस्याद्यज्ञे वधोर्वधः ।। (मनु. 5, 39)
अर्थात सृष्टा ने यज्ञ के लिए पशुओं को स्वयं बनाया है और यज्ञ संपूर्ण संसार की उन्नति के लिए है, इस कारण यज्ञ में पशु का वध वध नहीं है।
उपरोक्त ‘लोकों से स्पष्ट है कि स्मृतिकार की दृष्टि में केवल विधिरहित वध का निषेध है। ईशदूतों की सिखलाई विधि के अनुसार ईश्वर का नाम लेकर कुरबानी करना उत्तम है और कुरबानी या यज्ञ का मांस न खाना पाप है।
आजकल मर्यादा पुरूषोत्तम श्री रामचन्द्र जी की गाथाएं बड़ी लोकप्रिय हैं, परन्तु उनकी गाथाओं के मूल आधार वाल्मीकि रामायण का साधारण जनता को कम ही ज्ञान है। वाल्मीकि रामायण में अनेकों स्थानों पर श्री रामचन्द्र जी के शिकार करने और मांस खाने का उल्लेख है। केवल एक उदाहरण यहां उद्धृत किया जा रहा है -
तां तदा दर्शयित्वा तु मैथिली गिरिनिम्नगाम् ।
निषसाद गिरिप्रस्थे सीतां मांसेन छन्दयन् ।।
इदं मध्यमिदं स्वादु निष्टप्तमिद मग्निना ।
एवमास्ते स धर्मात्मा सीतया सह राघवः ।।
(वाल्मीकि रामायण, अयोध्या काण्ड, 96, 1 व 2)
अर्थात इस प्रकार सीता जी को (नदी के) दर्शन कराकर उस समय श्री रामचन्द्र जी उनके पास बैठ गए और तपस्वी जनों के उपभोग में आने योग्य मांस से उनका इस प्रकार लालन करने लगे, ‘‘इधर देखो प्रिये, यह कितना मुलायम है, स्वादिष्ट है और इसको आग पर अच्छी तरह सेका गया है।‘‘
इसके अतिरिक्त श्री रामचन्द्र जी के मृगादि के शिकार तथा मांस खाने के वृतान्त के लिए वाल्मीकि रामायण में देखें - अयोध्या काण्ड, 52-102; 56-22 से 28; और अरण्य काण्ड 47-23 व 24 आदि।
पाराशर, पतंजलि और याजनवल्क्य के मांस भक्षण संबंधी उद्धरण तो वर्तमान अज्ञान की स्थिति में प्रस्तुत करना उचित ही नहीं है क्योंकि उससे शाकाहारियों और गौ-प्रेमियों की भावनाएं उत्तेजित होंगी। यद्यपि उन्हें धार्मिक भावनाएं नहीं कहा जा सकता, क्योंकि ये उद्धरण तो धार्मिक ग्रंथों के ही हैं।

Anonymous said...

Divya openly expressed that she is against all the muslims who follow islam.she said she is not against non veg but against muslims who sacrifice in the name of Allah.
Means she want to say do any thing in the name of "swaad" (taste), kill any animal, to eat but never do any thing in the name of Allah
वहां वो सभी जो जीव हत्या के खिलाफ बोलते नहीं थकते थे. वाह वाह कर रहे हैं। इनको जीव हत्या से तकलीफ नहीं है .इनको तकलीफ दे रहा है इस्लाम.

Anonymous said...

http://aqyouth.blogspot.com/2010/11/blog-post_19.html

Taarkeshwar Giri said...

Thakur M Islam ya to Hunduwo wala hi nam rakh lo ya Musalmano wala. Ya to mujhe lagta hai ki aap abhi tak puri tarah musalman bane hi nahi.

Khawo jo ji main aaye khawo , Magar Bhagwan ko beech main naa lawo.

Aur mujhe pata hai ki tum bhi farzi adami ho

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मांस खाना या न खाना लोगों की व्‍यक्तिगत रूचि है, इसपर सवाल कैसा। वैसे यह व्‍यक्ति से संवेदना से जुडा मसला भी है। शायद इसी कारण मैंने 20 साल पहले मांस खाना छोड़ दिया था। इस लिहाज से मैं अभी तक तो स्‍वयं को शाकाहारी मानता रहा था, पर इस लेख को पढ़कर मेरी चूलें हिल गयी हैं।

Thakur M.Islam Vinay said...

@ Tarkeshwar Giri ji anwer bhai kehte hein tum sabko aur unko bhi farzi samjhte the,, mera to yahi kehna he waqt bata dega kaun farzi aur kaun DARZI he

Unknown said...

Ye pagalo ne slok ka apne hisab se arth nikala he

Kisi padhe likhe se he arth nikalwa lete

Mansh sabd ka vedo me bhi ullekh he ,jiska arth hota he dal

Aur bar jab aai shri ram ki to ek bhai sahan ne jish tarah arth kia he valmiki ramayan k slok ka wo padhkar meri hansi tham nahi rahi

Bhaio vedo me 66 bar mansahar khana nichta ka pratik mana gaya he aur suddh aahar ki bat ki gai he

Aur yagya me pashu vadh ka kabi ullekh ni he, kuch murkhone galat arth nikale he,

Sanskrit me sabd k kai arth vidyaman he

Unknown said...

Ish thakur ki ghar wapisi karwao

Unknown said...

जीव हत्या कर उनका मांस खाना पाप है जो यह सब करता है वह निर्दयी है पापी है दुष्ट है जो इस प्रकार की सोच रखता है वो महा मूर्ख है संसार मे ईश्वर से बडा पापी दुष्ट और निर्दयी कोई नही !जीव मात्र से सब कुछ वही करवाता है और फिर जीव पर दोष लगाकर मारता भी है इससे बडा पाप और क्या है

Unknown said...

सँसार के सभी जीव निर्बल और निर्दोष है सांसारिक लीला वश ईश्वर सभी जीवो पर दोष लगाकर मारता है संसार के सभी फसाद की जड़ ईश्वर है फिर एक मानव एक मानव मे दोष क्यो देखता है जबकि सँसार का साधारण मनुष्य भी इस बात को जानता है की ईश्वर की इच्छा के बगैर पेड़ का एक पता भी नही हिलता फिर ईश्वर की मर्जी के बगैर मनुष्य अच्छा बुरा कर्म कैसे कर सकता है जो स्वंय को अधिक बुद्धिजीवी समझता है इस प्रश्न का उतर उससे माँगे जो सभी फसादो की जड़ है ईश्वर से उतर माँगने की समर्थ नही है तो मूर्ख आपस मे लड़ते है

Amit deshwal said...

हराम के बीज तू गू खा ले किसने रोका है
लेकिन श्री राम वैदिक धर्मी थे और वेद में मनुष्य का आहार शाकाहार बताया है
तेरी हिम्मत कैसे हुई श्रीराम पर लांछन लगाने की
नीच तू तो अपनी मां के गर्भ में मर जाता तो अच्छा होता

Unknown said...

Enter your reply...please send me your number

Unknown said...

रामचरितमानस की वो चौपाई लिखिए जिसमे श्री राम ने मांस की तारीफ की है

Unknown said...

झूठ और बकवास लिखने से पहले कुछ तो अपने खुदा से डर

Unknown said...

माँस खाने का शौक है तो अपने व अपने परिवार वालो को मार के खाओ तो पता चलेगा पीडा क्या होती है।

Unknown said...

Ye kshatriya nhi hai

Anonymous said...

https://youtu.be/OvjL88eO8vk

राम मासाहारी थे या नही

CHANDEL TIGER said...

Sale bhagwan ram ko apmanit krta hai kbhi khush nhi rhega..

Anurag tiwari said...

unhone maas ki nahi bhojan ki taarif ki thii aap sabko sanskrit samajh nahi aayi isliye aap bhram me ho

Anurag tiwari said...

bhai aap sabne slok ka galat arth nikaalaa hai sanskrit hai na isliye

Anurag tiwari said...

Saeed मांसेन mean fal ka guda jo bhagwan ram khaate thein samjhe jaise aamra maasam yaani aam ka guda

Unknown said...

वाल्मिकी रामायण मे नही है राम ने माँस खाया

Unknown said...

ऋग्वेद 10.87.16 व्यक्ति को मास नही खाना चाहिए । पुस्तक वेद सौरभ लेखक जगदीश्वरान्नद सरस्वती

Unknown said...

ऋग्वेद 10.87.16 व्यक्ति को मास नही खाना चाहिऐ । पुस्तक वेद सौरभ लेखक जगदिश्वरान्द सरस्वती

Unknown said...

ऋग्वेद 10.87.16 व्यक्ति को मास नही खाना चाहिऐ । पुस्तक वेद सौरभ ।लेखक जगदीश्वरान्नद सरस्वती

Unknown said...

ऋग्वेद 10.87.16 व्यक्ति को मास नही खाना चाहिऐ । पुस्तक वेद सौरभ ।लेखक जगदिश्वरान्नद सरस्वती

Unknown said...

ऋग्वेद 10.87.16 वयक्ति को माँस नही खाना चाहिऐ । पुस्तक वेद सौरभ । लेखक जगदीश्वरान्नद सरस्वती । वेद हि सबसे सर्वेच्च पुस्तक है धर्म मे ।

Unknown said...

ऋग्वेद 10.87.16 मास मनुष्य को नही खान चाहिऐ । पुस्तक वेद सौरभ लेखक जगदिश्वरान्नद सरस्वती । जिनको वेद पढने है हरिशरण सिद्धालंकार जी का भाष्य पढे । जासको मनुसमर्ति पढनी हो वह सुरेन्द्र कुमार का भाष्य पढे । जिसको वाल्मिकी रामायण पढनी हो वह जगदीश्वरान्द का भाष्य पढे ।

Unknown said...

रामायण वाल्मिकी मे नहि है । मनुस्मृति सुरेन्द्र कुमार का भाष्य पढे

Unknown said...

कृपा कर के गलत संदेश ना देवे पहले पढ़ो फिर ज्ञान बांटो भगवान श्री राम पूर्ण शाकाहारी थे

M.K said...

Bilkul sahi Bhai ye sale mulle madarchodo ko srf bejubaan lachar ki hatya krna hi jante hai

M.K said...

Sab ke sab katulle apni ma chudva ke aye hai

Arjun Pandit said...

Thakur ,, tumko pata nahi hai ki tum kiska apman kar rahe ho, तुमको भगवान अवश्य कभी दंड देंगे, आर्टिकल शेयर ही करना है तो तुम्हे पहले हर जगह अनुसंधान करना चाहिए पहले। वैसे हमारे सभी ग्रंथ में मांसाहारी, हिंसा करना महापाप बताया गया है,पर लोग अफवाह भी खूब फैला रहे हैं। महामूर्ख ढोंगी कहीं का