Wednesday, November 17, 2010

जब हिन्दू धर्म ग्रन्थ भी इस बात को कह रहे है

जब हिन्दू धर्म ग्रन्थ भी इस बात को कह रहे है की वनस्पति और मनुष्य में एक सामान जीव है फर्क सिर्फ इतना है के मनुस्य अपनी भावनाओं को प्रकट कर सकता है वनस्पति नहीं पर नां जानें कयूँ विज्ञानं के जमानें में भी अच्छे खासे पढ़े लोगों की समझ में एक ही बात बार समझनें में भी नहीं आती जान बुझ कर ढिठाई करना ठीक बात नहीं है इसी लिय कहा गया है के अनपढ़ जाहिल नहीं होता पढ़ लिखनें के बाद जहालत की बात करने वाला भी जाहिल हो सकता है अभी कई दिन पहले मेरे दोस्त गुप्ता जी नें कहा ठाकुर साहब त्यौहार मनानें के लिए जीव की हत्या करोगे मैंने कहा गुप्ता जी आप थोडा सा भोजन करने के लिए कितनी हत्याएं कर डालते है क्या आपको इस बात की जानकारी नहीं है साग सब्जी खानें के लिए खेतों में दवा का छिडकाव किया जाता है लाखों करोड़ों कीड़े मकोड़े मारने के बाद  तब कहीं जा कर आपको भोजन में सब्जी नसीब होता है दही में करोड़ों से भी जियादा जीवित kitaadu मौजूद होते है
हम लोग सिर्फ एक जानवर  को  हलाल करते हैं तब जाके सैकड़ों  लोग भोजन करते है अब यह बताइए मै कितना गलत हूँ और आप कितनें सही ?  कायनात में सूरज चाँद सितारे बहारें फिजायें आदि जितनीं जितनीं भी चीजें इस्वर नें बनाई हैं वह सब चीजें मनुस्य की सेवा के लिय हैं और मनुष्य को अपनी उपासना के लिए बनाया है रही बात जीव हत्या की तो दुनिया में कौन सी चीज ऐसी  है जिसमें जीव नहीं है मनुष्य अगर जीवों पर तरस खाएगा फिर खुद जीवित नहीं रह सकेगा जैसे  की शेर अगर दुसरे जानवरों पर तरस खाएगा तो वह भी जीवित नहीं रहेगा अब भी दिमाग का सही इस्तेमाल करो और गल्त दिशा  में न जा कर सही बातों पर विचार करें

15 comments:

Anonymous said...

bhot badhiya

kapil said...

lage raho seekh jaoge

Thakur M.Islam Vinay said...

@qasmi sahb hosla afzayi ka shukriya

Thakur M.Islam Vinay said...

@kapil sahab aap jyse behtrin logon ka sath raha to insaallah jarur sikh jaunga

HAKEEM YUNUS KHAN said...

Nice post .
'शाकाहार में मांसाहार'
@ आपको और सभी भाइयों को ईद मुबारक !
मेरे ब्लाग
hiremoti.blogspot.com
पर तशरीफ़ लाकर 'शाकाहार में मांसाहार' भी देख लीजिए ।

HAKEEM YUNUS KHAN said...

आपने साबित कर दिया कि आप वास्तव में ही शेर हैं । आपका भोजन भी शेरों वाला है ।

HAKEEM YUNUS KHAN said...

एक क्षत्रिय की गवाही पर लोग विचार करेंगे ऐसी उम्मीद करता हूँ ।

Tausif Hindustani said...

हठधर्मियों का कोई धर्म नहीं सिवाए हठधर्मी के ,
आप कोशिश करते सहिये शायद कुछ अकल वाले सबक सिख लें
dabirnews.blogspot.com
ajabgazab.blogspot.com

Pratik Maheshwari said...

जीव हत्या तो हम सभी कर रहे हैं..
पर मुझे इस बात में अभी भी संशय है कि जब इतनी जीव हत्या हो रही है, तो फिर इसमें जानवरों को मार कर इसे बढाया क्यों जा रहा है?
अगर उतने में ही हमारा गुज़ारा हो सकता है तो उतने में क्यों हम संतुष्ट नहीं हैं?

Thakur M.Islam Vinay said...

hakeem sahab aapko our sabhi bhaion ko bhi eid ki bahut bahut mubarakbad insaallah mai aapke blog ko zarur padhunga

Thakur M.Islam Vinay said...

hakeem sahab allah ne hamen sher hi banaya hai yani asrful makhlukat magar jiyadatar log gadhe ban gaye hai dimag ka sahi istemal hi nahi karte

Thakur M.Islam Vinay said...

hakim sahab hosla afjai ke liye bahut bahut sukriya

Thakur M.Islam Vinay said...

pratik bhai isi liye to kah raha hu ke sabji kha ke jiyada jiwon ki hattya mat karo sirf gost hi khaya karo jisse kam se kam hattyaen hongi

Anonymous said...

Hey, I am checking this blog using the phone and this appears to be kind of odd. Thought you'd wish to know. This is a great write-up nevertheless, did not mess that up.

- David

Anonymous said...

जिस जीव को पांचों ज्ञानेन्द्रियों द्वारा जाना जा सकता है । उस जीव की हत्या न्याय एवं नीति की दृष्टि से अनुचित है । जिस जीव की हत्या का न्याय और नीति को स्थापित करने एवं आत्मरक्षा से कोई संबंध नहीं है । इसलिए अन्याय एवं अनीति पर आधारित जीव हत्या धर्म नहीं हो सकती । जो कर्म धर्म के विरुद्ध हो, वह अधर्म है । धर्म तो अन्तिम समय तक क्षमा करने का गुण रखता है । जितना बड़ा पाप, उतना बड़ा प्रायश्चित ।