Tuesday, November 30, 2010

अर्जुन जब द्रोपदी को स्वयंबर से जित कर लाये

अर्जुन जब  द्रोपदी को स्वयंबर से जित कर लाये घर पर उनकी माता पूजा कर रही थी अर्जुन बोले माता भिक्षा  लाये हैं  वह बोली आपस में बाँट लो उस समय वह पीठ फेर के कड़ी थी जब मुड के देखा तो असमंजस में पद गई वह तो इस्त्री है मगर अब क्या हो सकता था क्युकी  धनुष से निकला तीर और छत्रिय के ज़बान से निकली वाणी कभी लौट के नही आती माँ की आज्ञां पर पांचों पांडव भाईओं ने द्रोपदी को आपस में बाँट लिया तब वह पांच पुरषों की पत्नी बन गई - मै सवाल करता हूँ के पाप  करने के बाद क्या उसका प्रायश्चित नहीं है गलती तो इन्सान से ही होती है  अगर कोई भूले से बहन को माता या माता को पत्नी कह दे तो क्या वह पत्नी ही बन जाएगी ? नहीं कभी नहीं हर बुरे कर्म का प्रायश्चित है अल्लाह फरमाते है कुरआन में ए बन्दे तू  अगर जमीं से ले कर आसमान तक गुनाहों से भर दे आसमान को पर भी कर दे और मुझसे एक बार सचे मन से तोबा कर ले मै उसे माफ़ कर दूंगा मगर पांडवों ने कोई प्रय्स्कित नहीं किया क्या यह सही है??

13 comments:

Anonymous said...

nice post

kapil said...

aapne sahi kaha

salman said...

behtrin jankari

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
kunwarji's said...

THAKUR kyo lagaate hai aap apne naam me,kripya kar bataayenge....?

or haa,yadi kisi ki izzat-be-izzati ka khyaal nahi hai or sirf popularity chaahiye to aapne ekdam sahi raasta chuna hai,par ye puraani raah ho chuki hai!
aap anvar jamaal,saleem khaan aadi se conferm kar sakte hai...

or kripya kar ke ye ganda comment jo aaya hai use delete kar denge to bhala hoga!

kunwar ji,

फरीद पानियाल said...

ठाकुर साहब मुझे लगता है आप नये मुसलमान हो, नये मुसलमान में यह बात होती है कि उसे अपने पुराने नाम से थोडे दिनों लगाव रहता है कोई बात नहीं कभी सुनाईये आप विनय से इस्‍लाम कैसे बने

Anonymous said...

फरीद पानियाल said...
ठाकुर साहब मुझे लगता है आप नये मुसलमान हो, नये मुसलमान में यह बात होती है कि उसे अपने पुराने नाम से थोडे दिनों लगाव रहता है कोई बात नहीं कभी सुनाईये आप विनय से इस्‍लाम कैसे बने
December 1, 2010 1:52 AM

Anonymous said...

फरीद पानियाल said...
ठाकुर साहब मुझे लगता है आप नये मुसलमान हो, नये मुसलमान में यह बात होती है कि उसे अपने पुराने नाम से थोडे दिनों लगाव रहता है कोई बात नहीं कभी सुनाईये आप विनय से इस्‍लाम कैसे बने
December 1, 2010 1:52 AM

Anonymous said...

फरीद पानियाल said...ठाकुर साहब मुझे लगता है आप नये मुसलमान हो, नये मुसलमान में यह बात होती है कि उसे अपने पुराने नाम से थोडे दिनों लगाव रहता है कोई बात नहीं कभी सुनाईये आप विनय से इस्‍लाम कैसे बने
December 1, 2010 1:52 AM

Thakur M.Islam Vinay said...

farid bhai samay aane par sab bataunga insaallah

Thakur M.Islam Vinay said...

kunwarji pahle mera nam thakur vinay kumar singh tha ab m.islam hai

Thakur M.Islam Vinay said...

salim to aap hain nahi magar dost aap jo bhi hain salike se bat karen bahut hi buri bat hai gali dena isse aapki sanskrati hi zahir hoti hai

Unknown said...

sabhee musalmano ko kyo badnaam kar rahe ho...

pyar karo nafrat nahi dost...

india ko unnati ki aur le chalo...

piche to koyi bhee kich sakta hai...